Bhopal में Donald Trump (डोनाल्ड ट्रंप) का सांकेतिक ‘अंतिम संस्कार’ और 13 दिन बाद ‘मृत्युभोज’ हाल ही में व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। यह अनोखा विरोध प्रदर्शन भारतीय गण वार्ता पार्टी (भगवा पार्टी) द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर 50% टैरिफ थोपने के फैसले के विरोध में किया गया। प्रदर्शन की शुरुआत भोपाल की सड़कों पर ट्रंप के विरोधी पोस्टर्स से हुई, जिन पर स्पष्ट रूप से लिखा था “गद्दार डोनाल्ड ट्रंप का अंतिम संस्कार”।
विरोध की अनोखी मिसाल
भारतीय गण वार्ता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 1 सितम्बर को बोर्ड ऑफिस चौराहे से ज्योति टाकीज तक ट्रंप की सांकेतिक शवयात्रा निकाली। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए ट्रंप के फोटो वाले नकली शव का अंतिम संस्कार किया और चौराहे पर पुतला भी फूंका गया। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों में ट्रंप ने दोस्ती की आड़ में धोखा किया है, और पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखाया है।
टैरिफ के विरोध में शोक संदेश व तेरहवीं
अमेरिका द्वारा भारत के सामान पर 50% टैरिफ लागू करने के बाद व्यापारिक संगठनों और आमजन में रोष व्याप्त है। इसी क्रम में ट्रंप का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार करते हुए भारतीय गण वार्ता पार्टी ने शोक संदेश वाले कार्ड भी बांटे। इन कार्ड्स में लिखा था, “गहन दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि हमारे व्यापारिक एवं अविश्वसनीय मित्र, डोनाल्ड ट्रंप 50% टैरिफ के साथ असमय ही हम सबको छोड़कर चला गया है”।
13 दिन बाद मृत्युभोज
परंपरा के अनुसार, अंतिम संस्कार के 13 दिन बाद मृत्युभोज का आयोजन किया जाता है। इसी तर्ज पर पार्टी ने घोषणा की कि 13 दिनों के बाद ट्रंप की तेरहवीं पर मृत्युभोज का भी आयोजन होगा, जिसमें विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। पार्टी ने यह भी कहा है कि ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान चलाकर अमेरिका के सामानों का बहिष्कार किया जाएगा और लोगों को आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित किया जाएगा।
भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर असर
सांकेतिक अंतिम संस्कार न सिर्फ एक विरोध का तरीका था, बल्कि इसका उद्देश्य भारत में अमेरिकी टैरिफ नीति से हो रहे नुकसान और रोज़गार की चिंता को उजागर करना था। पार्टी का यह भी कहना है कि ट्रंप की नीति भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट पर असर डालेगी और लाखों नौकरियों का संकट पैदा करेगी।
इस तरह भोपाल में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सांकेतिक अंतिम संस्कार और आने वाले दिनों में मृत्युभोज एक नया और रचनात्मक विरोध प्रदर्शन बनकर सामने आया है, जिसने टैरिफ की बहस को आमजन तक पहुँचाया है।
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