शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें होने जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों को भारत की क्षेत्रीय रणनीति और कूटनीतिक दृष्टिकोण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों में संबंधों में तनाव रहा है, खासकर 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात को दोनों देशों के बीच संबंधों में संभावित सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी चीन के साथ रिश्तों को “दीर्घकालिक दृष्टिकोण” से देख रहे हैं और भारत यह चाहता है कि मतभेदों को संवाद और शांति से सुलझाया जाए।
म्यांमार के सैन्य नेता से मोदी की बैठक भी सामरिक दृष्टि से काफी अहम मानी जा रही है। भारत और म्यांमार के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा, आतंकवाद और शांति स्थापित करने को लेकर सहयोग की आवश्यकता है। म्यांमार में सैन्य शासन के बाद उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद भारत संतुलित कूटनीति अपना रहा है, जिसमें आर्थिक, सुरक्षा और मानवीय हितों का ध्यान रखा जा रहा है।
एससीओ शिखर सम्मेलन के पहले इन बैठकों को भारत की सक्रिय और रणनीतिक विदेश नीति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह भारत के पड़ोसी देशों के साथ संतुलित, व्यावहारिक और दीर्घकालिक संबंधों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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