लोनी में क्रिप्टो घोटाले की आशंका — भाजपा नेता अलीमुद्दीन अंसारी (BJP leader Alimuddin Ansari) के ठिकानों पर 12 घंटे रेड
गाज़ियाबाद, 15 अक्टूबर लोनी में मंगलवार सुबह 5:00 बजे से लेकर दोपहर तक करीब 12 घंटे गैर-रोक कार्रवाई चली, जब प्रवर्तन एजेंसियों की एक बड़ी टीम भाजपा से जुड़े नेता अलीमुद्दीन अंसारी व उनके सहयोगी नफीस के घरों पर अचानक छापेमारी कर गई। रेड की इस कार्रवाई के पीछे कथित क्रिप्टोकरेंसी निवेश घोटाले की जांच बताई जा रही है।
घटना विवरण
समाचार स्रोतों के अनुसार, सुबह लगभग 5 बजे जांच एजेंसी (संभावित ईडी / इनकम टैक्स विभाग) लोनी के टोली मोहल्ले स्थित अलीमुद्दीन व नफीस के मकानों पर पहुंची।
टीम में लगभग दो दर्जन अधिकारी व सीआरपीएफ जवान थे।
रेड के दौरान घर के सभी लोग एकत्रित किए गए, अंदर बंद रखा गया, और घर में मौजूद सभी मोबाइल फोन एजेंसी ने जब्त कर लिए।
कार्रवाई लगभग 12 घंटे तक चली। स्रोतों के अनुसार अधिकारी इस दौरान पूरे घरों की तलाशी लेते रहे।
एजेंसियों ने फिलहाल किसी प्रकार की अधिकारिक पुष्टि या बयान देने से इनकार किया है।

आरोप और पृष्ठभूमि
बताया जा रहा है कि अलीमुद्दीन अंसारी भाजपा की अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी हैं।
आरोप है कि वे क्रिप्टोकरेंसी निवेश स्कीम का संचालन कर रहे थे, जिसमें लोगों को बड़ी वापसी (लगभग 8 % प्रतिमाह मुनाफा) का लालच देकर पैसा लगवाया जाता था।
कहा जाता है कि निवेशकों ने करोड़ों रुपये उनके द्वारा संचालित कंपनियों में लगाए थे, और वे अपेक्षाकृत कम समय में धन-समृद्ध हो गए थे।
एक स्रोत में यह दावा है कि इनका सरगना लविश चौधरी नाम से विदेश (दुबई / अबू धाबी) में रहता है, और हाल ही में अलीमुद्दीन उनसे दुबई में मिला था। उन्होंने उस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा भी की थीं।
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि इस रेड की वजह हवाला / वित्तीय लेनदेन की गड़बड़ी की आशंका भी है, और एजेंसी यह देख रही है कि विदेशों से धन के लेन-देन किस तरह जुड़े हैं।
संभावित लिंक: नवाब उर्फ लविश चौधरी व अन्य छापेमारी
पहले भी समाचारों में यह नाम जुड़ा है कि दुबई में स्थित लविश चौधरी नामक व्यक्ति से जुड़े एजेंटों के घरों पर ईडी द्वारा छापे मारे गए हैं।
विशेष रूप से, शामली जिले में ईडी ने एक एजेंट के ठिकाने पर कार्रवाई की थी, जिसमें करोड़ों नकदी बरामद हुई। छापे से यह उजागर हुआ कि यह नेटवर्क फॉरेक्स ट्रेडिंग / क्रिप्टो घोटाले के नाम पर संचालित हो रहा था।
मीडिया रिपोर्टों में दावा है कि यह मामला कई जिलों में फैल चुका था और लविश चौधरी उसका केंद्र बिंदु है।
समीचीन चुनौतियाँ और संभावित जटिलताएँ
1. अधिकारिक पुष्टि का अभाव
अभी तक न तो ईडी ने और न ही पुलिस / राजनैतिक पक्ष ने सार्वजनिक बयान जारी किया है, जिससे तथ्य-जांच कठिन हो रही है।
2. राजनीतिक संवेदनशीलता
आरोपित भाजपा से जुड़ा होने के कारण इस मामले में राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप जल्दी शुरू हो सकते हैं।
3. स्थानीय निवेशकों की चिंता
यदि हजारों लोग निवेश किए हों और उनके पैसे फंसे हों, तो बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो सकते हैं।
4. फंड फ्लो ट्रेस करना
क्रिप्टो और डिजिटल धन-लेनदेन पारदर्शी नहीं होते, इसलिए यह तय करना कि पैसा कहां से आया और किस रूप में विदेश गया—यह बहुत जटिल होगा।
संभावित आगे की कार्रवाई
एजेंसियाँ PMLA (Prevention of Money Laundering Act), विदेशी प्रेषित धन, और आर्थिक अपराध धाराओं के अंतर्गत मामले को खोल सकती हैं।
बैंक खाते, लेनदेन रिकॉर्ड, क्रिप्टो वॉलेट की जाँच, विदेश संबद्ध लेनदेन (एफआईयू, विदेश लेखा आदि) आदि का ऑडिट हो सकता है।
यदि प्रभावी ठोस सबूत मिलते हैं, गिरफ्तारी, जमा राशि अटकाना, परिसंपत्ति ज़ब्ती आदि हो सकती है।
प्रभावित निवेशकों को शिकायत दर्ज कराने और जांच एजेंसियों से संवाद स्थापित करने की जरूरत होगी।
निष्कर्ष एवं सुझाव
यह मामला अभी प्रारंभिक अवस्था में है। मीडिया रिपोर्टों और स्थानीय सूत्रों के आधार पर यह एक संभावित बड़े निवेश-धोखाधड़ी (खासकर क्रिप्टो / डिजिटल लेनदेन से जुड़ी) की जांच के रूप में सामने आ रहा है। लेकिन, सत्य तथ्य सामने तब आएँगे, जब एजेंसियाँ आधिकारिक बयान दें, गिरफ्तारियाँ हों, और जाँच की सामग्री सार्वजनिक हो।