नेपाली विद्रोह पर विशेष
नेपाल में Gen-Z विद्रोह: सोशल मीडिया बैन से भड़की युवा क्रांति, 19 लोगों की मौत, प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा
-“नेपो किड” ट्रेंड की वजह से सड़कों पर उतरे युवा, भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी पर बरसा गुस्सा
-नेपाल में सोशल मीडिया बैन हटाया गया; आज़ादी की मांग बढ़ी—महानगरों में कर्फ्यू, संसद और नेता-घर जले
प्रमुख घटनाक्रम
1. विद्रोह के कारण
4 सितंबर 2025 को सरकार ने फ़ेसबुक, X, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर पाबंदी लगाई, क्योंकि वे सरकार द्वारा निर्धारित रजिस्ट्रेशन नियमों का पालन नहीं कर रहे थे ।
ये कदम “नेपो किड” ट्रेंड—जहाँ राजनीतिक प्रभाव वाले परिवारों के बच्चों की अभद्रता दिखती है—के प्रसार को रोकने के प्रयास के रूप में देखा गया, लेकिन इसके पीछे असली नाराज़गी भ्रष्टाचार, राजनीतिक अभिजात वर्ग और युवाओं के सामने पल रही रोज़गार और सामाजिक असमानताओं से थी ।
2. प्रदर्शन की शुरुआत और हिंसा का फैलाव
आंदोलन की चिंगारी युवाओं (विशेष रूप से Gen-Z) द्वारा सोशल मीडिया बंद के विरोध में भड़की—उन्होंने “Hami Nepal” जैसे समूहों के माध्यम से कैम्पस-स्तर पर संयोजन किया ।
शुरुआती शांतिपूर्ण प्रदर्शन तब हिंसक हो उठा जब पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों पर हाथ-पांव ढीले और गोलियों सहित बल प्रयोग किया—जिससे कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत और सैकड़ों घायल हुए ।
प्रदर्शनकारी संसद भवन, सिंहदरबार, कई नेताओं के घरों को आग लगाते हुए हिंसा करते गए ।
काठमांडू और अन्य शहरों में कर्फ्यू लगाया गया; अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद कर दिया गया; और सेना तैनात कर दी गई ।
3. सरकार की असफलता
यह आन्दोलन साबित करता है कि महासंघीय नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और गठबंधन-राजनीति से जनता पूरी तरह संतुष्ट नहीं है—2008 के बाद से 14 अलग-अलग सरकार बनी हैं, स्थिरता नहीं बनी ।
सोशल मीडिया प्रतिबंध ने जन-मध्यम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया, जिसने आम लोगों के गुस्से को भड़का दिया ।
भारी-हात सुरक्षा प्रतिक्रिया ने आंदोलन को दबाने की बजाय उसे विस्फोटक बना दिया।
4. वर्तमान स्थिति
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया—यह कदम आंदोलन की तीव्रता और लोकतांत्रिक व सामाजिक दबाव का नतीजा था ।
सरकार ने सोशल मीडिया बैन तुरंत हटाया और प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा, घायलों का मुफ्त इलाज तथा एक जांच पैनल की घोषणा की (15 दिनों में रिपोर्ट) ।


प्रदर्शन अभी भी जारी हैं—यह मांग नेतृत्व परिवर्तन से कहीं आगे बढ़ कर संरचनात्मक सुधारों की है ।
कल्याण Ghising जैसे नेताओं ने interim government (अंतरिम सरकार) बनाने की वकालत की है, जिसमें युवा (Gen-Z) की हिस्सेदारी हो और विश्वसनीय व्यक्ति शामिल हों ।
आगे क्या हो सकता है?
संभावित घटनाक्रम विवरण
Interim Government (अंतरिम सरकार) प्रस्तावित आहे, जिसमें युवाओं की भागीदारी और भ्रष्टाचार-निरोधी दृष्टिकोण शामिल होगा ।
जाँच और न्यायिक प्रक्रिया जांच पैनल की रिपोर्ट और दोषियों पर कार्रवाई इस पूरे आंदोलन का भविष्य तय करेगी ।
राजनीतिक पुनर्गठन और चुनाव नया नेतृत्व गठित होगा, संभवतः नए चुनाव और संविधान संशोधन की मांग तेज होगी।
पूर्ण लोकतांत्रिक सुधार युवाओं और नागरिकों की मांग न्याय, पारदर्शिता, रोजगार और राजनीतिक जबाबदेही से जुड़ी है—यह आगे की दिशा तय करेगा।
उन तस्वीरों से स्पष्ट होता है कि यह केवल एक सोशल मीडिया विरोध नहीं, बल्कि एक लोकतांत्रिक विस्फोट है—यह विद्रोह भावनाओं, प्रतीकों और भावी आकांक्षाओं से प्रेरित है।
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